गुर्जरो का छिपाया जा रहा है इतिहास -जानिए गुर्जर सम्राट मिहिर भोज के बारे में

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Gurjar samrat Mihir bhoj news

भारत में गुर्जरो के कई राजा और सम्राट हुए लेकिन मिहिर भोज जैसा सम्राट पुरे भारत में एक ही था। -तो आइये अपने गौरवान्वित इतिहास के जाने इसका गुणगान करे और वर्तमान समय ने छिपाये जा रहे गुर्जरो के इतिहास के बारे में जाने –

 

gurjar prtihar Mihir Bhoj news

बात अगर भारत की करे तो भारत में अनेक राजाओं और सम्राटो का इतिहास देखने को मिलेगा ,लेकिन गुर्जर सम्राट मिहिर भोज का इतिहास सबसे निराला है।मिहिर भोज ने 836 ईस्वी से 889 ईस्वी तक राज्य किया। गुर्जर सम्राट मिहिर भोज बचपन से ही प्रजा हितेसी थे। ये गुर्जर वंश के सबसे प्रतापी राजा थे।

अरबी मुसलमानो ने गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज को अपना सबसे बड़ा खतरा बताया उन्होंने कहा की यदि प्रतिहार वंश नहीं होता तो हम 12 सदी से पहले ही आर्यवर्त पर कब्जा कर लेते।

मिहिर भोज ने गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य को पुनः  संगठित कर शक्तिशाली बनाया। इन्होने चन्देलों को परास्त करके बुंदेलखंड पर फिर गुर्जरो की सत्ता स्थापित की। इतिहासकारो के द्वारा बताया जाता है रामभद्र के शासन काल में मंडोर के प्रतिहारो ने गुर्जरत्रा ,,नाम के भाग पर अपना अधिकार कर लिया था लेकिन गुर्जर सम्राट मिहिर भोज ने मौका मिलते ही मंडोर पर आक्रमण कर वहा के प्रतिहारो को परास्त करके राजपुताना पर फिर से अपना आधिपत्य जमा लिया।

इसकी पुष्टि 843 ईस्वी के दौलतपुर लेख था प्रतापगढ़ अभिलेख से भी होती है। इतिहासकारो को मिले अन्य साक्ष्यों से ज्ञात होता है की राजस्थान के चौहान मिहिर भोज के सामंतो के रूप में काम करते थे। हरियाणा ,पंजाब ,काठियावाड़ तथा मध्य भारत के बहुत से क्षेेत्रो पर उन्होंने छोटी सी उम्र में अधिकार कर लिया था।

मिहिर भोज ने राष्ट्रकूटों से भी युद्ध लड़े। शुरुआत में मिहिर भोज को नर्मदा नदी तक अपना राज्य विस्तार करने में सफलता मिली। इस बात में कोई संदेह नहीं की मिहिर भोज अपने वंश का नहीं अपितु भारतीय इतिहास के प्रतापी शासको में से एक सम्राट थे जिन्होंने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। इसके पराक्रम  से आतंकित मुसलमानो ने दक्षिण अथवा पूर्व में अपना अधिकार करने का साहस तक नहीं किया।

इनको भारतीय सभ्यता के रक्षक माने जाते है। सम्राट मिहिर भोज ने अपने पूर्वज नागभट्ट प्रथम की तरह ही स्थाई सेना खड़ी की। जो की अरब आक्रमणों को रोकने के लिए आवश्यक थी। यदि मिहिर भोज के अलावा कोई और समाज का सम्राट बना होता तो भारत की संस्कृति व् सभ्यता  नाम की कोई चीज नहीं बची होती।

गुर्जर सम्राट शिरोमणि मिहिर भोज एक ऐसे सम्राट हुए जिनके शासन काल में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। गुर्जर सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर समाज हमेशा पूजता आया है। ये विष्णु भगवान के परम् भक्त थे। बताया जाता है की गुर्जरो प्रतिहार के सम्राटो ने 400  बर्षो तक भारत को अरब आकर्मण से दूर रखा था। इनके शासनकाल में चारो तरफ खुशहाली ही खुशहाली थी ,सब मिल जुलकर रहते थे।

इनके बाद इनका पुत्र महेन्द्रपाल 885 ईस्वी में सिहासन पर बैठा। राजस्थान इतिहास के रचेयता कर्नल  जेम्स टोर्ड ने राजपूतो को गुर्जर प्रतिहारो की संताने बताया है।

उन्होंने बताया की राजपूतो की उत्पति गुर्जर प्रतिहारो से हुई है। राजस्थान के अनेक इतिहासकारो ने बताया की महाराणा प्रताप ही एक ऐसे राजपूत हुए थे जिन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी किसी गैर की आधीनता स्वीकार नहीं की ,नहीं तो इनका इतिहास रहा है किसी दूसरे की गुलामी करना।

उन्होंने सबसे ज्यादा मुसलमानो की चापलूसी की इनकी वजह से भारत जैसे हिन्दू राष्ट्र में मुगलो का अधिबास रहा ,नहीं तो प्रतिहारो के शासन में किसी मुगल या फिर कोई विदेशी राजा की हिम्मत नहीं हुई जो भारत पर अपनी आँख उठा कर देखे।

राजपूतो के कारन की हमें हमारी संस्कृति का अपमान हुआ है जब जब ये राजा बने है ,तब तब भारत पर आकर्मण होते गए है। राजपूत राजाओ के कारण ही जहा हिन्दुओ के देवी –देवताओ के मंदिर बने थे ,उनको मुसलमान राजाओ के द्वारा तोड़ कर वहा पर मस्जिद बना दी गई ,हिन्दुओ के मंदिरो को अपवित्र किया गया।

यहां तक की हिन्दुओ के ग्रंथो वेद ,पुराणों पुस्तकालय आदि को नष्ट कर दिया गया ,राजपूतो के शासन काल  में बाहरी आक्रमणों ने यह पर बने सोनो के मंदिरो को भी नहीं छोड़ा।

राजपूत पैसो के इतने लालची थे की इन्होने अपने राज्य की औरतो को भी मुसलमानो को बेच दिया था ,अगर भारत ने मुगलो की सत्ता सिर्फ राजपूतो के शासनकाल में जमी है। केवल महाराणा प्रताप ही इनके वंश में एक ऐसे राजा हुए जिन्होंने अपने गौरव को बचा कर रखा ,बात अगर  महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह की जाये तो उनको बचाने वाली और कोई नहीं पन्नाधाय जो गुर्जर समाज की बेटी थी जिन्होंने अपने पुत्र का बलिदान देकर महाराणा उदय सिंह की सुरक्षा की थी। इस प्रकार राजपुताना गुर्जरो का ऋणी रहा।

जरा सोचो की पन्नाधाय अपने स्वार्थ के लिए उदय सिंह का बलिदान कर देती तो आज राजपूतो का कोई नामो निशान नहीं होता लेकिन गुर्जर वंश शुरुआत से ही त्याग बलिदानी ,रहा है।

 

वर्तमान समय में छिपाया जा रहा है गुर्जरो का इतिहास -जानिए वर्तमान स्थिति 

वर्तमान समय में राजपूत गुर्जरो की उत्पति खुद से मान रहे है ,वे खुद को ऊंचा दिखाना चाहते है ,बच्चो के पाठ्यक्रम  में भी गुर्जरो का इतिहास के बारे में नहीं लिखा जाता है ,केवल राजपूतो के बारे में सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा।

यहां  तक की कोई राजपूत वर्तमान समय में राजनीती में है तो वह भी राजपूतो का ही सपोर्ट कर रहा है वर्तमान में दो साल  से बीजेपी सत्ता आयी तब से सम्राट मिहिर भोज राजपूत हो गए है ,क्या यह हिन्दुओ को जातिबाद में तोड़कर राजनीती लाभ लेने की कोशिश नहीं है।

दादरी में गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति स्थापना के अवसर पर राजपूतो को अब जाकर याद आया है की मिहिर भोज उनके सम्राट थे ,क्या उनको ज्ञात नहीं की पहले महाराणा प्रताप को सम्मान दिया गया था ,जब पिछले दो सालो से मिहिर भोज उन्हें याद नहीं आये।

हाल ही में जब गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा स्थापित की गई थी ,जब राजपूतो को याद  आया है की मिहिर भोज भी यह राजपूत थे ,क्या राजपूत गुर्जर समाज से इतने जलते है ,की जिन्होंने उनको जीवन दान में दिया उन्ही को वे गाली दे।

इतिहास में मिले साक्ष्यों से तो मिहिर भोज गुर्जर वंश के है लेकिन अब राजपूत राजनीती में होने के कारण अपने पद का गलत फायदा उठा रहे है। वे गुर्जरो के इतिहास को पूरी तरह से समाप्त करना चाहते है।

वर्तमान में गुर्जर का इतिहास बहुत कम बच्चा है ,राजपूतो के राजनीति में रहने से उन्होंने बच्चो को गुर्जर प्रतिहारो व् उनके बंशजों का इतिहास छिपा दिया है उनको केवल राजपूत राजाओ और उन्ही के इतिहास के बारे में पढ़ाया जा रहा है।

यदि ये इसी तरह से गुर्जरो का इतिहास छिपाते रहे तो आने वाले समय में ये इस बात को भी नहीं मानेगे की पंनडय ने अपने पुत्र का बलिदान करके राजपूतो के महाराणा उदय सिंह की जान बचाई थी।

हर कोई इस के बारे में प्रमाण मांगता है जो की राजपूतो के पास नहीं है मिहिर भोज के गुर्जर होने के अनेक प्रमाण मिले है ,जबकी राजपूत होने का एक भी प्रमाण नहीं मिला है।

राजपूतो ने वर्तमान में हर जगह से गुर्जर के इतिहास को मिटा दिया है ,गुर्जर वंश के सम्राटो का इतिहास की जगह अब उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने राजाओ का इतिहास डाल दिया है।

लेकिन अब बहुत हुआ हम अब और सहन नहीं कर सकते ,यदि अब भी गुर्जर समाज के नेताओ ने इन राजपूतो से अपने पूर्वजो का इतिहास नहीं बचाया तो फिर उन्हें जीने का को अर्थ नहीं क्योकि इतने बड़े पद पर होने पर भी वे कुछ नहीं कर पा रहे है इसकातो फिर राजपूतो और उनमे कोई अंतर नहीं क्योकि राजपूत जानबूझकर गुर्जरो के इतिहास को मिटा रहे है ,और गुर्जर नेता जानते हुए भी अपना इतिहास बचा नहीं पा रहे है।

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