क्या कोरोना कल में मनाई जाएगी देवनारायण जयंती -जानिए गुर्जर समाज के प्रसिध्द देवता के बारे में वर्तमान समय में छिपाया जा रहा है गुर्जरो का इतिहास
जैसा की आप सब जानते है की हर समाज का कोई ना कोई देवी या देवता जरूर होता है | वैसे ही गुर्जर समाज का एक प्रसिद्द देवता जो देवनारायण के नाम से जाना जाता है | साधु संत इसे भगवान बिष्णु का अवतार मानते है | गुर्जर समाज में इस देवता की सबसे ज्यादा मान्यता है | इनका लोग स्नेह से देव ,जी भी कहते है | साल 2021 में इनकी जयंती 12 सितम्बर को हर देव के मंदिर में लोगो के द्वारा धूम धाम से मनाते है | इस दिन मालासेरी डुगरी और जोधपुरिया धाम में हर साल मेले भरते है | उनका जन्म माघ के शुकल पक्ष को षष्टि के दिन आता है |
गुर्जर समाज के लोगो के द्वारा बताया जाता है की भगवान देवनारायण का जन्म मालासेरी डुगरी को चिर कर कमल के फूल में हुआ था और ये सब साडू माता की भक्ति का फल है, साडू माता एक गुर्जर समाज से पुण्यात्मा थी | साडू माता का विवाह सवाई भोज जो एक ग्वाले और पराक्रमी थे | इतिहास से पता चलता है की सवाई भोज बाघसिंघ के 24 पुत्रो मे से सबसे बड़े बेटे थे | जग में इन 24 भाईयों को बगड़ाबतो के नाम से जानते है | बताया जाता है की सवाई भोज ने अपनी भक्ति और श्रद्धा से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया था जिसके फल स्वरूप भगवान शिव ने बगड़ाबतो को बारह बर्ष की माया और बारह बर्ष की काया प्रदान की थी | लोग इस दिन शोभा यात्रा और देव जी की झाकिया भी निकालते है |
बताया जाता है की इस दिन मेले पर लोगो की बहुत भीड़ होती है जहा पर देव की पूजा करने वाला पुजारी चकरी की तरह घूम कर थाली पर देव का चित्र बनता है | लोग इसी चित्र को देखकर ही भोजन ग्रहण करते है |
लेकिन वर्तमान समय में अन्य समाज के लोगो के द्वारा गुजरो के इतिहास को छिपायाज जा रहा है | हम किसी किसी बारे में या तो किसी से सुन कर या कही पढ़ कर जानते है , लेकिन किताबो में अब गुर्जरो के इतिहस के बारे नहीं बताया जाता है | इनका इतिहास मिलेगा तो कही छोटे पेराग्राफ में या फिर किताब के सबसे आखरी छोर पर | आखिर कर क्यू जलते है लोग गुर्जर समाज से |