साथियों राम राम
सबसे पहले समाज की उन्नति एवं बेहतर भविष्य के लिए कुर्बानी देने वाले 73 योद्धाओं को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि मुझे क्या पूरे समाज के लिए बड़े दुख का विषय है जब श्रद्धांजलि देने वाले लोगों को पत्थरों पर मालाए और फूल अर्पित करते हुए देखता हूं तो मन बड़ा विचलित हो जाता है साथियों ऐसा पहली बार नहीं हो रहा हर मई के महीने में गुर्जर समाज के शहीदों के साथ व उनके परिवारों के साथ अन्याय सा महसूस होता है। मैंने बहुत अच्छे से महसूस किया है गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आड में बहुत सारे लोगों को मैंने उस हालत में देखा है जो आज और उनके अतीत में बहुत फैसला पैदा करती है
आंदोलन के समय पर आप एक छोटा सा क्लीनिक चलाते थे जो आज एक बहुत बड़े हॉस्पिटल का मालिक बनकर बैठा है और कई लोग जो मोटरसाइकिल का चालान पेश करते थे आज वह बहुत बड़े एडवोकेट बनकर बैठे हुए हैं और कई लोग जो सरपंच तक नहीं बनते गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आड़ में पार्टियों के तलवे चाटते हुए एमपी एमएलए बन गए कई लोग गांव में झाडे भभूत करते थे वह लोग आज तरह-तरह के साफा और कुर्ते बदलते नजर आ रहे हैं और आज आप सब लोग समाज और इन शहीदों को भूल गए जिस समाज की एकता की मिसाल और कुर्बानियों का इतिहास इन्हीं के पीछे याद किया जाता है
किसी ने गाड़ी किसी ने बंगला,किसी ने कॉलेज, स्कूल ,बड़ी बड़ी गाड़ियां और ऊंचा नाम कमा लिया लेकिन इन शहीदों को आज भी इन्ही पत्थरों पर पुष्प अर्पित करने पड़ रहे हैं।।
यहाँ भी कुछ बदलाव जरूरी है साहब तब होगी सच्ची श्रद्धांजलि।।
कड़वी जरूर है मगर है सच हैं।