आज हम बात करने वाले है गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की जो गुर्जर प्रतिहार राजवंश के राजा थे | गुर्जर सम्राट मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार वंश के 6वे राजा थे | ये स्पष्ट तौर पर उनके शिलालेखों में लिखा मिलता है | गुर्जर सम्राट मिहिर भोज का शासन वर्तमान के मुल्तान से पश्चिम बंगाल तक था व कश्मीर से कर्नाटक तक फैला हुआ था | इतिहासकार के. के. मोहम्मद जिन्होंने बाबरी मस्जिद के निचे राम मंदिर होने का खुलासा किया था उनकी माने तो उन्होंने मिहिर भोज को गुर्जर ही माना है
गुर्जर समाज में इनको देवता की तरह पूजा जाता है | गुर्जर सम्राट मिहिर भोज एक महान शासक थे , उन्हें धर्म का रक्षक कहा जाता है ये विष्णु भगवान के परम् भक्त थे | गुर्जर प्रतिहार वंश ने 400 सालो तक देश को अरब आक्रमणकारियों से बचाये रखा | गुर्जर सम्राट मिहिर भोज के शासन काल में देश सोने की चिड़िया कहलाता था
गुर्जर प्रतिहार वंश कभी भी विदेशी आक्रमणकारियों के सामने नहीं झुके | गुर्जर प्रतिहार वंश के सभी शासको ने अपना पूरा जीवन देश की सुरक्षा और धर्म के प्रचार में बिता दिया | गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना नागभट्ट प्रथम ने की थी | प्रतिहार वंश का शासन काल 1036 ई. तक रहा | गुर्जर प्रतिहार वंश के आखरी राजा राज्यपाल थे जिन्होंने महमूद गजनवी से हारने के बाद कन्नौज को छोड़ दिया | राज्यपाल की मौत चन्देलों द्वारा की गई
गुर्जर प्रतिहार वंश के आखरी राजा यशपाल थे | राजपूतो की उतपत्ति गुर्जर वंश से मानी गई है प्रतिहार वंश के पतन के बाद उनके सामंतो व जागीरदार बाद में अपने आप के पीछे राज पुत्र यानि राजपूत लगाने लगे