सवाई भोज के प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जहाँ हर रोज भूखे को दी जाती है आवाज-जानिए बगड़ाबतो का अन्तर्राष्ट्रीय तीर्थस्थल
आसींद में कस्बे से पूर्व की दिशा में भीलवाड़ा रोड पर 1 किलोमीटर की दुरी पर स्थित सवाई भोज मंदिर है। जहां हर रोज रात के 9 बजे तक आवाज लगाई जाती है की कोई भूखा प्यासा हो तो प्रसाद ग्रहण कर लो। बताया गया है की ये मंदिर सबसे विशाल और 1200 साल पुराणा मंदिर है।
जब से मंदिर बना है तब से लेकर आज तक वहा पर घाट ,छाछ की राबड़ी का प्रसाद का वितरण होता। रात के 9 बजे के बाद आवाज लगाकर भंडारा बंद कर दिया जाता है। यह जगह गुर्जर वंशज बगड़ाबतो की रणभूमि रही है।
इसी जगह पर सवाई भोज के साथ -साथ सभी बगड़ावतों ने राण के राजा दुर्जनसाल से युद्ध किया था। और सवाई भोज ने आखरी सास भी यहां इसी स्थान पर ली थी। .
माना जाता है की इस मंदिर में सवाई भोज की जो मूर्ति है वह अपने आप प्रकट हुई थी। उसी के बाद इस मंदिर का निर्माण हुआ। यह मंदिर चारो और से बिशाल जंगल और तालाब से घिरा हुआ है।
इस मंदिर के बारे में सवाईभोज महंत सुरेश ने बताया की इस मंदिर में प्रसाद के रूप में दी जाने वाली राबड़ी जिसका स्वाद पुरे भारत में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में प्रतिदिन भगवान सवाई भोज और देवनारायण की रविवार से लेकर शुक्रवार तक तीनो प्रहर आरती होती है।
शनिवार को बिशेष कर इस मंदिर में चार बार पूजा अर्चना होती है। इस मंदिर में सवाई भोज और देवनारायण के अलावा सभी बगड़ाबतो और सभी देवी -देवताओ के छोटे -छोटे मंदिर बने हुए है।
इस मंदिर की खास बात ये है की यहां पर आया हुआ यात्री खली हाथ नहीं जाता। इस मंदिर में 24 घंटे घी की जोत हमेशा जलती रहती है। मंदिर में अनाज ,घी,दूध ,था अन्य किसी सामग्री की कोई कमी नहीं है।