गुर्जर सम्राट मिहिर भोज को लेकर राजपूत और गुर्जर में आपस में विवाद फैल रहा गया है -जानिए गुर्जरो की मिहिर भोज को लेकर नई रणनीति
जैसा की आप सब जानते है पिछले कुछ दिनों से राजपूत और गुर्जर समाज में प्रतिहार नरेश मिहिर भोज को लेकर विवाद चल रहा है की सम्राट मिहिर भोज गुर्जर समाज के या फिर राजपूत,यह मामला पिछले एक सप्ताह से चल रहा है। इसी बात को लेकर दोनों समाजो में आपस में टकराव आ गया है।
गुर्जर समाज अपने पूर्वज मिहिर भोज को राजपूतो के द्वार जबरन अपनाये जाने के पर बहुत गुस्सा में है ,सूत्रों से पता चला है कि राजपूतो के लड़को ने गुर्जरो केन द्वारा बनाये गए सम्राट मिहिर भोज के पोस्टरों में आग लगा दी जिससे वह के लोग भड़क उठे और उन्होंने 26 सितंबर को उन्होंने दादरी में गुर्जर महासभा करने का विचार किया है| बताया जा रहा है की गुर्जर सोशल मीडिया जमकर ट्वीट कर रहे है।
राजपूतो ने भी पुरा दम लगा रखा है ,लेकिन गुर्जर इस बात पर हार नहीं मान रहे है की सम्राट मिहिर भोज गुर्जर समाज के है। हलाकि मिहिर भोज गुर्जर समाज के है।
प्रतिहार नरेश सम्राट मिहिर भोज के गुर्जर होने के अनेक शिला लेख व् साक्ष्य मिले है ,जबकि राजपूत होने का एक भी शिला लेख या फिर एक भी साक्ष्य नहीं मिले है।
राजस्थान इतिहास के लेखक कर्नल जेम्स टॉड ने सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर बताया है। जबकि राजपूत होने का उन्होंने कोई प्रमाण नहीं दिया है। उन्होंने अपनी पुस्तक एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान में मिहिर भोज के गुर्जर होने के अनेक प्रमाण मिले है।,जिनमे सम्राट मिहिर भोज के शिला लेखो में उनके नाम से पहले गुर्जर लिखा है।
बताया गया है की राजपूतो की उत्पति गुर्जर प्रतिहारो से हुई है। यहां तक की हड़प्पा की खुदाई में भी मिहिर भोज के गुर्जर होने के साक्ष्य मिले है। पुरे राजस्थान में मिहिर भोज के राजपूत होने का कोई भी शिला लेख या फिर कोई साक्ष्य नहीं मिला है।
वर्तमान समय में राजपूत मिहिर भोज को अपना वंशज मान रहे है ,ऐसे में गुर्जर समाज अपने पूर्वजो के हो रहे अपमान को लेकर दादरी ,,उत्तर प्रदेश में गुर्जर महसभा का आयोजन 26 सितंबर को करने जा रहे है ,जिसमे गुर्जरो के बड़े बड़े समाज सेवी ,युवा नेता ,व् गुर्जर समाज के हजारो लोग इकठे होंगे। सभा में गुर्जर के छिपाये जा रहे इतिहास के बारे में बाते होगी साथ ही साथ समाज को जागरूक तथा एक जुठ होकर सामना करने की प्रेरणा दी जाएगी।
प्रतिहार नरेश मिहिर भोज को लेकर अभी तक दोनों समाज आपस में सोशल मीडिया के द्वारा आपस में लड़ रहे है। ये बात तो 100 प्रतिशत मानने योग्य है की मिहिर भोज एक गुर्जर है।
यह तह की राजपूतो का इतिहास गुर्जरो ने बचाया है ,आप को ज्ञात हो की मेवाड़ के महाराणा उदय सिंह को अपने पुत्र चन्दन का बलिदान देकर बलवीर नाम के दुष्ट राजपूत से बचने वाली और कोई नहीं गुर्जर समाज की बेटी पन्नाधाय थी।
यदि पन्नाधाय उदय सिंह को मरने देती तो आज राजपूतो का कोई इतिहास नहीं होता और इस बात को राजपुताना अच्छी तरह से जानते है।
गुर्जर शिरोमणि सम्राट मिहिर भोज एक गुर्जर वंश के महान प्रतापी राजा थे ,जिनके शासन काल में पुरे भारत में खुशहाली थी उन्होंने अपने जीवन में कभी भी किसी राजा की गुलामी नहीं की ,और न ही किसी राजा से युद्ध हारे तो वर्तमान में राजपूतो को गुर्जर सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर समाज का मानना होगा वे किसी के इतिहास को जोर जबरदस्ती अपना नहीं बना सकते उनके पास इस मिहिर भोज को अपनाने का कोई इतिहास नहीं है।
इसलिए सब मिलकर रहे ऐसे किसी के इतिहास को चुराने का कोई मतलब नहीं होता ,राजपूतो के पास कोई प्रमाण नहीं है।